Sunday, April 12, 2015

दिल्ली में होगा सोमयाग और गो-संगोष्ठी

दिल्ली में होगा सोमयाग और गो-संगोष्ठी
प्रिय बंधुजन,
'गोग्राम महासंघ' द्वारा राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 28 अप्रैल से 4 मई 2015 तक ''अग्निष्टोम सोमयाग'' आयोजित हो रही है। यह आयोजन उत्तरी दिल्ली के अलीपुर ब्लॉक में स्थित हिरनकी गांव में यमुना जी के पावन तट पर हो रही है। देश की राजधानी में इस तरह का आयोजन पहली बार होगा। इस यज्ञ का मूल उद्देश्य गाय, धन-धान्य व अन्य भौतिक संपदाओं की बढ़ोत्तरी, पर्यावरण संरक्षण, विश्व कल्याण,  योग्य संतान प्राप्ति (दिव्य पुरुषों का इस पुण्यभूमि व कर्मभूमि भारत में अवतार) आदि के जरिए वेदोक्त आदर्श राष्ट्र स्थापित करना है।
 इसका अनुवर्ती कार्यक्रम के रूप में 4 दिवसीय गो-संगोष्ठी का आयोजन 5 मई से 8 मई 2015 तक नई दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित 'गांधी शांति प्रतिष्ठान' में होने जा रहा है। 
यह संगोष्ठी 'देशी गोवंश और समग्र ग्राम विकास' से संबंधित चार अलग-अलग आयामों पर आधारित होगा। इस गो-संगोष्ठी की रूपरेखा इस प्रकार है (5 से 8 मई 2015 - प्रतिदिन प्रात: 10 बजे से सायं 5 बजे तक)- 
5 मई (कार्यशाला 1) -  गोवंश एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था।
6 मई (कार्यशाला 2) -   गोवंश आधारित पञ्चगव्य चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा एवं सामाजिक स्वास्थ्य।
7 मई (कार्यशाला 3) -  वृक्षायुर्वेद, गवायुर्वेद, गोविद्या आदि का डाटा बेस व 'गो-विश्व कोष' निर्माण।
 8 मई (कार्यशाला 4) - समग्र ग्राम विकास में उपरोक्त तीनों आयामों का समन्वयन व कार्ययोजना पर चिन्तन सत्र।
चार दिवसीय इस गो-संगोष्ठी में उपरोक्त चारो विषयों के विशेषज्ञों के साथ-साथ देश के विभिन्न प्रांतों में कार्यरत चयनित कार्यकर्ताओं का भी सहभागिता रहेगी, जो गोग्राम महासंघ से जुडे़ हुए सहयोगी व अनुबद्ध संस्थाओं में कार्य कर रहे हैं।
सोमयज्ञ की पृष्ठभूमि
भारत मेंं यज्ञ की समृद्ध परंपरा रही है। इसे भारतीय संस्कृति में केंद्रीय स्थान प्राप्त है। यज्ञ के महत्व का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व के सबसे प्रचीन ग्रंथ ऋग्वेद और यजुर्वेद में इसका विस्तार से वर्णन है। ऋग्वेद का पहला ही मंत्र यज्ञ की महिमा का बखान करता है। यजुर्वेद का अधिकांश हिस्सा यज्ञ के विधि-विधान पर ही है। 
दरअसल यज्ञ फल के लिए नहीं किया जाता। यह निस्वार्थ भाव से जन कल्याण के लिए किया जाता है। इसीलिए यह हर तरह के धार्मिक कर्मकांड से अलग है। यही वजह है कि भारतीय ऋषि परंपरा में यज्ञ को श्रेष्ठ कार्य कहा गया है।  हां, ये बात जरूर है कि धीरे-धीरे यज्ञ परंपरा कमजोर हुई है और जनमानस इससे दूर होता गया। यज्ञ को लेकर ऐसी उपेक्षा महाभारत युद्ध के बाद शुरू हुई। मौजूदा दौर में इसका अकाल पड़ गया है। लेकिन यह कहना गलत होगा कि यज्ञ परंपरा समाप्त हो चुकी है। आज भी कुछ ऐसे स्थान हैं जहां पर यह समृद्ध परंपरा जिंदा है। दक्षिण भारत में स्थित आंध्र प्रदेश का राजमहेंद्री, केरल का त्रिशूर और महाराष्ट्र का नासिक कुछ ऐसे ही स्थान है। यहां पर सोमयज्ञ तकरीबन 3000 सालों से सतत् जारी है।  सन् 1975 ई. में अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रो. फ्रिट्ज स्टॉल ने सोमयज्ञ का विधिवत अध्ययन किया है। उन्होंने इस पर 'अग्नि' नामक एक किताब लिखी। इससे सोमयज्ञ का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार हुआ। 
कालांतर में देश और देश के बाहर कई स्थानों पर सोमयज्ञ का आयोजन बढ़-चढ़कर होने लगा। दिल्ली में होने वाला सोमयज्ञ उसी प्राचीन परंपरा की देन है। इस आयोजन मे कई समाजसेवी संगठन, शैक्षणिक व शोध संस्थान, विभिन्न धार्मिक मठ-मंदिर व आध्यात्मिक संस्थाएं भाग लेंगी।  
आयोजक संस्था का परिचय
'गोग्राम महासंघ' भारतीय गोवंश और उनसे संबंद्ध क्षेत्रों में काम करने वाले विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं का अखिल भारतीय संगठन है। इसका मुख्यालय तेलंगाना राज्य के इन्दूर (निजामाबाद) जिले में स्थित है। और पंजीकृत कार्यालय नई दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित है।
इन अनुबद्ध संस्थाओं का कार्यक्षेत्र गोसेवा, गोसंरक्षण, गोसंवर्धन, गो-आधारित सेन्द्रिय खेती, गो-आधारित पञ्चगव्य चिकित्सा, गो-आधारित लघु उद्योग व कुटीर उद्योग व ग्रामोद्योग, गो-आधारित समग्र ग्राम विकास आदि में है, जिनका समन्वय भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया 'राष्ट्रीय गोकुल योजना' व 'उन्नत भारत अभियान' आदि महत्वपूर्ण योजनाओं से किया जा सकता है।
गोग्राम महासंघ एवं इसके अनुबद्ध संस्थाएं पिछले पांच-छ: सालों से दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब आदि विभिन्न प्रदेशों में गो-संगोष्ठियां, गो-कथाएं, गो-सम्मेलन, गव्य चिकित्सा शिविर, ग्राम विकास शिविर आदि के माध्यम से जन साधारण और किसानों में गोपालन, गो-आधारित सेन्द्रिय खेती, गव्यायुर्वेद, वृक्षायुर्वेद, प्राचीन गो-विद्या आदि का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
इस क्रम में देश के विभिन्न प्रांतों में सक्रिय ग्राम विकास संगठनों का सहयोग और सहभागिता से 'गोग्राम महासंघ' का एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप धीरे धीरे मूर्तरूप ले रहा है। संगठन की इस राष्ट्रीय स्वरूप को बल प्रदान करने के लिए आगमी सात वर्षों में देश के अलग-अलग प्रदेशों में सोमयज्ञ व गो-संगोष्ठियों का आयोजन निरंतर किया जाएगा, जिनके माध्यम से ग्राम स्वावंबन आदि उद्देश्यों की पूर्ति के िएल एक योजनाबद्ध कार्यक्रम बनाया गया है।
इसी सप्तवर्षीय योजना के अंतर्गत यह सोमयज्ञ एवं गो-संगोष्ठी का पहला आयोन राजधानी दिल्ली में 28 अप्रैल से 8 मई तक किया जा रहा है। 
अधिक जानकरी के लिए संपर्क करें
G.O.U. Federation office,
UGF 118, World Trade Centre
Barakhambha Avenue, 
Connaught Place,  New Delhi-110001
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Mob : 9212964222, 9971822213

Friday, April 3, 2015

'Gogram Vikas Abhiyan' - an alternative model of development

Pranam to all Gogram premi bandhujan! Welcome to the new blog 'GOGRAM GURUKUL' - an online platform for 'mutual learning' through dialogue, debates, exchange of ideas etc aiming at re-establishing a nationwide earnest for adoption of the cow-based integral system for rural empowerment. Gogram Mahasangh (Gogram Organizations United Federation -G.O.U. federation), an umbrella organization of the institutions working on varied Cow-centric sustainable rural development activities, proposes an alternative development model that is integrative and encompassing the physical, psychological, emotional, intellectual and spiritual wellbeing of the society. The details of this alternative model and a proposed model village-cluster shall be provided in next posting.

Schedule of national seminar/ 'Agnishtom Somayag' in Delhi

Detailed schedule of the upcoming Delhi' Somayag is as follows: Agnishtom Somayag (28-Apr to 04-May) National Seminar on 'Yajna & Panchagavya for Social Health' (29-Apr to 02-May) 29-Apr: Cow & rural economy 30-Apr: Panchagavya & Yajna/Agnihotra for Human health 01-May: Yajna, Cow & Spiritual wellbeing 02-May: Brain-storming sessions for evolving an 'Action Plan' on creating cluster-models of 'Cow-centric Integrated Rural Development'